सुबह जाती है शाम आती है


                                                             चित्र - गूगल से साभार

सुबह जाती है शाम आती है,
दोपहर इन पर नही आती,
कब तलक वो मेरे गाँव को देखे,
यहाँ शहर की बेरुखी नहीं आती,
हम आराम चैन से क्युँ ना बैठे,
हमको तो आशिकी नहीं आती,
सबको वो सरगोशी नहीं मिलती,
हमें सब पर दिवानगी नहीं आती,
मेरे मोहल्ले के बन्द गलियों में,
रात दिन तो रोशनी नहीं आती,
कोई शिकवा गिला ना हो होठों पर,
हमको वो सादगी नहीं आती,
जिसे आवाज दे रहा मैं इस तलक,
जाने क्युँ उनको खुशी नहीं आती,
मै बढ़ाऊ उनका मन सर तक,
 इतनी भी बन्दगी मुझे नहीं आती॥

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