तेरा इन्तजार नहीं

                                                           चित्र - गूगल से साभार

अब मुझे तेरा इस जिन्दगी में इन्तजार नहीं,
अब मिलोगी इसका भी कोई आसार नहीं,
अब मुझे तेरा इस जिन्दगी में इन्तजार नहीं,
लाख फासले हुआ करते थे नजदिकियों में,
लेकिन मेरे प्यार में कभी कोई दरार नहीं,
तुम मुझे दिल में ना सही यादों में रखोगी,
यह ऐसी हसरत है जिसका कोई आधार नहीं,
चाँद-तारे ना सही तो ऐसा भी नही कि खुशियाँ ना दे पाऊँ,
मैं अकेला जरूर हूँ पर इतना भी अभी लाचार नहीं,
मुट्ठी से रेत की तरह फिसल कर दूर होती रही,
मैं रोकता तुम्हें मेरा तुमपर इतना भी अधिकार नहीं,
तुमसे मोहब्बत करने का सिला मुझे यह मिला,
तेरे इन्कार के बाद कोई सवाल जवाब नहीं,
अब तेरी मोहब्बत भी मिल जाये तो क्या?
तेरे प्यार में इतना रोया जिसका कोई हिसाब नहीं,
आज भी मेरे शेर प्रकाशित होते है तेरे मुस्कूराहटों से,
अब तो ये मान लो मैं पहले से बेकार नहीं,
अब मिलोगी इसका भी कोई आसार नहीं,
अब मुझे तेरा इस जिन्दगी में इन्तजार नहीं,

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