मेरे जीवन की आश तुम्हीं

                                                                 चित्र - गूगल से साभार  


मेरे जीवन की आश तुम्हीं हो,

हो मेरे जीवन अरदास तुम्ही।
तुम हो मेरे जीवन की प्यास,
तुम रहती मुँख के हर उबास।
मेरी साँसों की हो तुम स्पन्दन,
लगती हो एक बाग स्वच्छन्दन।
मेरी आत्मकथा में तुमकों,
सर्वप्रथम है शत-शत वन्दन।
चन्द्र-किरण तुम काली रात की,
यह जीवन जुगुनू सोया है।
प्रिये! तुम हो सूरज कि प्रथम किरन,
तुमसे होता है मेरा जीवन रोशन।
रेगिस्तान की मरुभूमि मैं,
उसकी तुम शीतल सरिता हो।
मानो या ना मानो तुम,
तुम हो मेरी अनमोल धरोहर।
तुम आ जाओ मेरे जीवन में,
बनकर छोटी झील-सरोवर।
प्रिये! तुम्हीं हो मेरी हस्ती,
इस जीवन की तुम हो दौलत।
बस याद तुम्हारी चलती उर में,
जब भी मिलती मुझको फुरसत।