चित्र - गूगल से साभार
गाथा इस संसार की।
गुँज उठे यह सारा अपवन,
दम लगा दो आवाज की।
हम सब भी ऐसे चमक उठे,
हम सब भी ऐसे चमक उठे,
जैसे आभा सुर्य के प्रकाश की।
दीनों पर हम बरस पड़े,
बन दयाबुँद बरसात की।
अपनी शक्ति प्रयोग करे हम,
जो है अपने अधिकार की।
यहा न कोई ऊँचा-नीचा,
यहाँ न कोई राजा-रंक।
सबको मिले प्यार एक-सा,
जैसे हो माँ धरती का अंक।
मनुज एक है विश्व एक है,
यह बात मानो हर एक की।
हर देश के हम भाई- भाई है,
एकता हो यह प्रबल विचार की।
मिलकर सबके कदम बढ़े,
पुष्प है हम एक हार की॥
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