गणतन्त्र दिवस

                                                                  चित्र - गूगल से साभार


इस जलती समाँ को कोई बुझा नहीं सकता।
हमको अपनी राह से कोई हटा नहीं सकता॥
बढ़ रहे है हम प्रगति की ओर निज साहस लिये।
हमारी शक्ति को कोई अब मिटा नहीं सकता॥
सत्य पथ पर हम सर्वदा यूँ ही बढ़ते जायेगें।
आयेगा वह दिन विपक्षी हमसे मिलते जायेगे॥
हम धरा पर दिप्ति होगे चाँद-तारों की तरह।
है अटल विश्वास मुझमें लक्ष्य तक पहूँचेगें हम॥
और वैभवगान अपना विश्व में देखेगें हम॥
फिर कला-कौशल और साहित्य का होगा विकाश।
एक स्वर से वन्दना जननी की जब बोलेगें हम॥
आवों इस गणतन्त्र दिवस पर प्रण करें हम सभी।
स्वतन्त्र भारत को फिर एक नया आयाम देगें॥
प्रहरी हमारे देश के अब चैन से रह सकेगें।
विश्व शान्ति का एक बार फिर नया संदेश देगें॥
 इस जलती समाँ को कोई बुझा नहीं सकता।
हमको अपनी राह से कोई हटा नहीं सकता॥

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