रास्ते अनन्त मिलेगें

                                                                       चित्र - गूगल से साभार

मरघट-सी सुनी रातों में जीवन के अन्त मिलेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
जनम-जनम जैसी बातों से अपना दिल बहलाओ,
खेल है सब तकदीर का अपने मन को समझाओ,
जीवन में जो कर रहे पलायन ना कभी संग चलेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
भागना ही है जब जीवन के विरानियों से तो भागो,
बेजान सपनों से तो पाँव भी ना जमीं पर जमेगें,
सच से आँख चुराने वाले दर्द के मोती नहीं चुनेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
सपने छूने को मन में है एक बेमानी-सा एहसास,
जीवन जीने का भी मन को है एक बेमानी विश्वास,
आशा और निराशा दोनों ही जीवन पर्यन्त रहेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
शोर-शराबे से भाग अब बिरानियों से उब गया,
तुफ़ानों से डरकर भागा अब साहिल पर टूट गया,
अब गहरे सागर में भी हलचल वाले शीप पलेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
जब अंकूर फ़ुटेगा तब धरती ही अवरोध करेगी,
नदियाँ अपने राह चलकर कुदरत का विरोध करेगी,
दीये भी रातभर जलकर अन्धेरे से खूब लड़ेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें,
शान्ति मार्ग पर चलने से पहले विराम मिलेगें,
जीवन के अवशेष को सदा मृत्यु उपनाम मिलेगें,
बाँझ शान्ति धरती से सच के कभी ना फूल खिलेगें,
जीवन के इस कोलाहल में रास्ते अनन्त मिलेगें॥ 

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