आँखों में झिलमिलाते चलो

                                                               चित्र - गूगल से साभार

सुर्ख आँखों में झिलमिलाते चलो,
दिल में नयी लहरें उठाते चलो,
दोनों किनारे है छलछलाते हुये,
अब जोश में होश उड़ाते चलो,
दीन दुनियाँ की तोड़ दिवारें,
जाम से जाम को टकराते चलो,
इस जमाने को तिलमिलाने दो,
इसके तौर-तरीकों को उड़ाते चलो,
आँधियों जैसे तोड़ दो ये सन्नाटा,
बन कर बौछार दनदनाते चलो,
चीर दो बादलों की छाती अब,
बिजली जैसे तड़तड़ाते चलो,
रुप का तो अपना अलग पैमाना,
मस्त भौरों जैसा गुनगुनाते चलो,
नन्हा सा एक अन्कूर है "अतुल"
छोड़ इसे हवा-सा सनसनाते चलो॥

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