फिर नर्म घासों ने अंकूर उगा लिये

                                                             चित्र - गूगल से साभार

फिर नर्म घासों ने अंकूर उगा दिये,
होठों पर धुप ने नगमें सजा लिये,
सूरज ने मुस्कुराकर क्या चुम लिया,
जीवन की पत्तियों ने आँसू सुखा लिये,
उदासी छोड़ कर नजर देखती कल को,
आशा की तितलियों ने पर उगा लिये,
भीगी पगडंडियों के द्वार क्या खुले,
कदमों ने चलने के नये रास्ते बना लिये,
किरने भी लौटती है शुभकलस चुमकर,
मंदिरों की घंटियों ने असीस गा लिये,
माता की ममता ने फिर दुलारा चुमकर,
सपनों में आशीष का आँचल चुरा लिये.
फिर सज गयी भोर सुनहरे लिवास में,
विद्यालय की राह पर कदम बढ़ा लिये,
कुछ दिल में नयी लहरें उठा के चल दिये,
तो कुछ जोश में कुछ के होश उड़ा लिये,
माना जिन्दगी ने हमेशा दुख दर्द ही दिये,
"अतुल" ने उम्मीद के दीपक जला लिये॥

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