गुमसुम हवाओं को जगाये रखो

                                                                   चित्र - गूगल से साभार

गुमसुम हवाओं को जगाये रखों साथियों,
भर कर जुनून आँधियों सा बनाये रखों,
नदी सुख कर जो बन गयी रेत साथियों,
उसमें गर्म अहसास के पानी बहाये रखो,
रूबरू हो जाये सच्ची हकीकत दोस्तों,
दर्पण से धुल बार-बार हटावो साथियों
करते रहो आजाद सबको उदासियों से,
जज्बात के पंक्षी फिर से उड़ाओ साथियों,
भरों फिर चमक इन अधबुझी सी आँख में,
फिर नजरों को नजरों में घुमाओ साथियों,
क्युँ बह रहीं हैं हवाओं के साथ तकदीरें,
फिर से इन्हें जोश में चलाओ साथियों,
एक बार फिर नाच उठे अल्फाज की रुहें,
उफनी ही लहरों के साज बजाओ साथियों,
विश्वास को मिल जाये सहारा दिल का,
"अतुल" फ़िर से उत्साह बढ़ाओ साथियों॥