बेवसी : भोजपूरी में

                                                                  चित्र - गूगल से साभार


लाख रोकी निगाह चल जाता,
का करीं मन मचल जाता,
राह में बिछलहर अऊर काई बा,
गोड़ रह-रह के फिसल जाता,
रुप के आँच मन के लगते ही,
साँस लहकत और मन पिघल जाता,
के तरे गीत गायी जिनिगियाँ के बबुआ,
हर घड़ी त लय बदल जाता,
केतना समझाई अपना मनवा के,
हर दम एकरो बर्ताव बदल जाता,
कुछ अलग मुकाम पर पहुँचल सोचली,
लेकिन आज कुछ कयल ना जाता॥