कुछ मिले

कुछ यहाँ पर है अपने मिले,
तो कुछ वहाँ पर पराये मिले,
जो भी मिले है जिन्दगी में,
बस  हमें गिने-गिनाये मिले।

कही पर कुछ है हारे मिले,
तो कही पर कुछ है सहारे मिले,
साँस भी मिल गयी जो दुबारा,
तो लगा जिन्दगी के है किराये मिले।

कुछ यहाँ पर है अपने बनकर चले,
तो कुछ वहाँ पर है सँवर कर चले,
जब गिर कर धरा पर बन्द हुयी साँसे,
तब कफन हमको भी सिले-सिलाये मिले।

किसी को यहाँ पर है छप्पर  मिले,
तो किसी को वहाँ पर है खप्पर मिले,
किसी को छत भी नसीब ना हुयी है यहाँ पर,
तो वही पर कुछ है महलों के सताये मिले।

किसी के हाथों में यहाँ पर है खन्जर मिले,
तो किसी के दिल वहाँ पर है बन्जर मिले,
सौंप दूँ मै अपने जिन्दगी की बागडोर,
खुदा आकर जो मुझसे एक बार मिले।

ये दुनियाँ का यहाँ पर जंजाल है,
मोह-माया फँसा अपना कंकाल है,
खुद ही आकर यहाँ पर हम फँसते मिले,
तो कुछ वहाँ पर इसमें छटपटाते मिले॥