रात आयी है तो दिन को भी आना होगा,
तन्हाई के आलम में अपना ठिकाना होगा।
वादा किया है आने का तो तुम्हें आना होगा,
ना झुठी फरस्ती और ना कोई बहाना होगा।
मैं कर लुँगा इन्तजार तुम्हारे आने तक का,
पर आते ही मत बोलना अभी जाना होगा।
मैनें माँगा है खुदा से हरपल साथ तुम्हारा,
तो यूँ चेहरा दिखाकर ना सितम ढाना होगा।
हर साँसों के संग अब तुम्हारी याद आती है,
क्या अब यादों के संग जीवन बिताना होगा।
दूर होकर लगता है अब तू भुला रही मुझको,
आकर तुम्हें ही अब यह भ्रम मिटाना होगा।
घूँट-घूँट कर अब दम तोड़ रही है मेरी साँसे,
मरा तो जनाजा तेरी गलियों से रवाना होगा॥
©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"
तन्हाई के आलम में अपना ठिकाना होगा।
वादा किया है आने का तो तुम्हें आना होगा,
ना झुठी फरस्ती और ना कोई बहाना होगा।
मैं कर लुँगा इन्तजार तुम्हारे आने तक का,
पर आते ही मत बोलना अभी जाना होगा।
मैनें माँगा है खुदा से हरपल साथ तुम्हारा,
तो यूँ चेहरा दिखाकर ना सितम ढाना होगा।
हर साँसों के संग अब तुम्हारी याद आती है,
क्या अब यादों के संग जीवन बिताना होगा।
दूर होकर लगता है अब तू भुला रही मुझको,
आकर तुम्हें ही अब यह भ्रम मिटाना होगा।
घूँट-घूँट कर अब दम तोड़ रही है मेरी साँसे,
मरा तो जनाजा तेरी गलियों से रवाना होगा॥
©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"