हालात_ए_शहर

कभी इधर देखा कभी उधर देखा,
उदासी में डुबा मैने ये शहर देखा।
बदलता रहा हर-पल सारा नजारा,
जब कभी गौर से अपना शहर देखा।
जख्म भर जाता है हर दिल का यहाँ,
माँ की दुआओं में इतना असर देखा।
खो गया है यहाँ पर सब कुछ हमारा,
जब भी यहाँ पलट कर तुम्हें देखा।
खुशी गयी ही नहीं कभी छोड़कर हमें,
जब कभी भी गम से मुँह मोड़कर देखा।
                        ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

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