नया साल आया

जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
हमारी उम्मीदें जगाने नया साल आया॥

फिर से दिल की खुशियाँ दर्शाने को,
लोगों के उमंग में नाचने नचाने को,
होली दिवाली एक बार फिर मनाने को,
ईंद बकरीद लाया मिलने मिलाने को,
दशहरा लोगों को फिर से हर्शाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
हमारी जिन्दगीं में फिर नया साल आया॥

कुछ फिर से नये पावन काज कराने को,
कुछ को बन्धन में बधने और बधाने को,
नये रिस्ते बनाने और पुराने को निभाने को,
रिस्तों में पड़ी दरारों को फिर से मिटाने को,
एकता का पाठ दुबारा फिर से पढ़ाने को.
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
सहज रिस्तों को बताने नया साल आया॥

पुरानी गलतियों को फिर से भुलने भुलाने को,
नया रास्ता और खुद की मंजिल बनाने को,
दुख से लड़ने  को और हौसला उपजाने को,
सुख के पलों को एक बार फिर सजाने को,
सुख दुख में समानता के भाव दर्शाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
हमें फिर से गले लगाने नया साल आया॥

कुछ नये लोगों से फिर  मिलने मिलाने को,
कुछ नये साथियों संग समय बिताने को,
कुछ नये लोगो से तजुर्बें सिखने सिखाने को,
कुछ पल अपनों के साथ फिर से बिताने को.
छोटों को प्यार बड़ो से विनय दिखाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
फिर से धड़कन धड़काने नया साल आया॥

गीत गजल फिर से सुनने और सुनाने को,
जीवन गान फिर से गाने और गुनगुनाने को,
जीवन में उतार चढ़ाव फिर से दिखाने को,
हर गलतियों का सबब सिखने सिखाने को,
उजड़ा चमन एक बार फिर से बसाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
उत्सव उपहार लिये फिर नया साल आया॥

आशा निराशा एक बार फिर दिखाने को,
जीत हार की परिभाषा फिर से समझाने को,
हास परिहास की भाषा का आभास कराने को,
दिन रात कि नियमितता फिर से समझाने को,
प्रेम करूणा नेह का आभास फिर से कराने को,
हौसलों का पंख एक बार फिर से लगाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
लिखने फिर इतिहास देखो नया साल आया॥

सुर्य का तेज और तारों की चमक दिखाने को,
चाँद गगन अम्बर का विश्वास दिलाने को,
ग्रह गोचर की दशा एक बार फिर दर्शाने को,
जिन्दा को जिन्दा अहसास फिर से कराने को,
अधियारी रातों में दीप-ज्योति फिर जलाने को,
"अतुल" की कागज कलम स्याह बन जाने को,
जिन्दगी में आज फिर एक मुकाम आया,
आज नया साल नया साल नया साल आया॥
                           ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

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