चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर

चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसके पतन का यह नारा है॥

जिसके सीने में विजयश्री की,
हरदम जलती ज्वाला है।
वन्दे मातरम इन्कालाब की,
उठती हरपल जयकारा है।
चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसके पतन का यह नारा है।

बढ़ते चलो काँटों के राही,
हिन्द शेरों की पुकारा है।
न झुकने वालों वीरों को,
भारत माँ ने ऐसे सँवारा है।
चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसके पतन का यह नारा है।

कुरूक्षेत्र सरहद पार बनेगा,
भारत का विश्वास हमारा है।
जन गण मन अधिनायक में,
कहता काबूल कान्धार हमारा है।
चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसने अपने मौत को पुकारा है।

खत्म करो आतंकवाद को,
ऐसा जारी फरमान बेचारा है।
सरहद के वीरों ने तब तक,
भुख प्यास को दुत्कारा है।
चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसके पतन का यह नारा है॥

राष्ट्र भक्तों ने हरदम देखों,
भेद-भाव जाति-पाति के नकारा है।
राष्ट्रभक्ति राष्ट्र प्रेम का जिनको,
गीत गान ही प्यारा है।
चढ़ पहाड़ के उच्च शिखर पर,
जिसने भी ललकारा है।
सच कहता हूँ दुनिया वालों,
उसके पतन का यह नारा है॥
                 ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

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