थक हार कर दिल का पन्ना

थक हार कर दिल का पन्ना,
अब धीरे से सो जाता है,
अपनों की बातें नहीं हैं करता,
बस तुझमें खो जाता है,
मेरे दिल की ज्योति राशि हो,
दिल में तुम्हें जलाऊँगा,
कभी कभी मैं तुमसे मिलने,
दिल के भीतर तक आऊँगा।

रेजा रेजा दिन निकलेगा,
रेजा रेजा रातें होगी।
तुम दिल की दिल्ली में रहना,
धीरे धीरे बातें होगी।
प्रेम की डोरी में बँधकर मैं,
अपना धरम निभाऊँगा,
कभी कभी मैं तुमसे मिलने,
दिल के भीतर तक आऊँगा।
रिश्ते नाते आज जगत में,
पल भर में मिट जाते हैं,
सुनो सुनो तुम मेरी बातें,
हम जन्मों साथ निभातें है,
आज लिये चलता हूँ संग में,
दिल में तुम्हें बसाऊँगा,
कभी कभी मैं तुमसे मिलने,
दिल के भीतर तक आऊँगा।

आज मिलन की पावन बेला है,
मंगल भाव जगाता हूँ,
जियो हजारों साल जगत में,
गीत खुशी के गाता हूँ,
गीतें गाते खुशियों की मैं,
पास सभी के जाऊँगा।
कभी कभी मैं तुमसे मिलने
दिल के भीतर तक आऊँगा।

कभी कभी मैं तुमसे मिलने
दिल के भीतर तक जाऊँगा,
जब जब यादें लहरें लेंगी,
पोर पोर खुल जाऊँगा,
गीतें गातें गातें तुमसे,
चितवन में मिल जाऊँगा,
कभी कभी मैं तुमसे मिलने
दिल के भीतर तक आऊँगा।।
               ©अतुल कुमार यादव.

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