हे ईश्वर हे अल्ला हे दाता

                                                                  चित्र - गूगल से साभार



हे ईश्वर! हे अल्ला! हे दाता!
तुम ही हो मेरे भाग्य-विधाता।
तुम्हारी कृपा-दॄष्टि जब हम पर होती,
सारी दुनियाँ तब अपनी होती।
ना किसी से डर है होता,
ना किसी से भय है होता।
तुमको दुनियाँ कहती माटी-पाथर,
लेकिन तुम हो करुना के सागर।
जो किसी को रास ना आता,
वो तो बस तुमको है भाता।
क्या कहुँ तेरे व्याख्यान में,
मेरे तो कुछ समझ ना आता।
हे ईश्वर! हे अल्ला! हे दाता!
तुम ही हो मेरे भाग्य-विधाता।
तुम दीनों के सुखदाता हो,
तुम उनके भाग्य-विधाता हो।
तुम सृष्टि के हो निर्माता,
तुम आदि और अनन्त तुम्हीं हो।
जो तुमको समझ पाता है,
वो हि मोक्ष को है पाता।
हे ईश्वर! हे अल्ला! हे दाता!
तुम ही हो मेरे भाग्य-विधाता।
दूर करो सब दुख दर्द हमारे,
हे खुशियों के अमृतदाता।
सब कुछ तो प्रदत्त आपका,
क्या भेंट आपको करू मैं नाथ।
अपनी कृपा बनाये रखना हमपर,
हे दुनियाँ के विश्व-विज्ञाता।
हे ईश्वर! हे अल्ला! हे दाता!
तुम ही हो मेरे भाग्य-विधाता।

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