मैं जिस शहर में रहता

    चित्र - गूगल से साभार

मैं जिस शहर में रहता हूँ,

उस शहर में मेरी दिवानी रहती है।
किस्सा है मेरे मोहल्ले का,
जिसमें एक कहानी रहती है।
हर पल दिल खोल कर जीती है,
मगर उसके दिल के अन्दर,
एक लड़की सयानी रहती है।
 घर तो बहुत बनाये है दिल के,
हमने अपनी मोहब्बत में।
बस एक नगरी दिल की,
वहाँ हमारी बसानी रहती है।
बहुत टकराये है हम लहरों से,
जालिम इश्क के समन्दर में।
मगर हमारे इश्क की गलियों में,
हवा भी तुफानी चलती है।
मैं आज खुली किताब हूँ।
ये मसला ही और है कि,
मोहब्बत है बस तुमसे।
लेकिन कितनी है ये बात,
तुमसे बतानी रहती है।

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