दिल्ली

                                                              चित्र - गूगल से साभार


दिल्ली जब से नेताओं की जान हो गयी।

तब से यह महानगर बेईमानों की खान हो गयी।
क्या बयाँ करूँ मैं इसकी हकीकत।
कुछ कुरूपियों से यह शर्मशार हो गयी।
दिल्ली जब से नेताओं की जान हो गयी,
देश की राजधानी आज आदर्शवान हो गयी।
लेकिन सच्चाई देखों तो रईसों की बागान हो गयी।
गुण्डे मवालियों के लियेअब शान हो गयी।
दिल्ली जब से नेताओं की जान हो गयी।
तब से यह महानगर बेईमानों की खान हो गयी।
ऐतिहासिक धरोहरों से इतिहास के पन्नों का गान हो गयी।
देशवासियों के हर क्षेत्र से आने से सांस्कृतिक विशात हो गयी।
जब से यह महानगर नेताओं की जान हो गयी।
उनके गलत कर्मों से यह शर्मशार हो गयी।
विकास की खुदाई से यह कोयले कि खान हो गयी।
चल गयी दिल्ली पर आज "अतुल" की लेखनी।
जिससे आज दिल्ली कि बखान हो गयी।
आज फिर हिन्दी जगत में माला-माल हो गयी।
एक बार और राजधानी की बयान हो गयी।
दिल्ली जब से नेताओं की जान हो गयी।
तब से सच में प्यारी दिल्ली बदनाम हो गयी॥

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