शब्द शब्द की पुकार : घनाक्षरी

शब्द शब्द की पुकार सुन मेरी ये गुहार,
सीमाओं पे खड़े है जो उनको सलाम है।

रात रात चल रहे दिन भर जल रहे,
रात रात जाग जाग कर रहे काम है।

आँधियों से लड़ जाते तुफानों से भीड़ जाते,
दुश्मनों का हर वार करते नाकाम है।

आस कभी तोड़े नहीं साथ कभी छोड़े नहीं,
मेरे हिन्दवासियों का बस यहीं काम है॥
                             ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

No comments: