पुनरावृत्ति

बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
सुख का दुख में,
दुख का सुख में,
एक साथ विलय हो जाना।
ऐसा है यह जीवन चक्र,
सुख का दुख में,
दुख का सुख में,
आना जाना लगा रहेगा।
इस आलम में कर्तव्य हमारा,
एक सा सुख दुख में बन जाना।
बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
दिन का रात में
रात का दिन में,
एक साथ मिलन हो पाना।
रात दिन का यह चक्र सुदर्शन,
पल-पल, हर-पल,
जीवन पर्यन्त चलता रहेगा।
दिन का रात में,
रात का दिन में,
आना जाना लगा रहेगा।
ऐसे आलम में कर्तव्य हमारा,
दिन-रात एक सा कर जाना।
बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
           ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"