किसी ने कहा

किसी ने कहा की चाँद बनो,
तो किसी ने कहा की सूरज,
किसी ने कहा की दीप बनो,
तो किसी ने कहा सितारे।

किसी ने कहा की कनक बनो तुम,
तो किसी ने कहा की मणि,
किसी ने कहा की रजत बनो तुम,
तो किसी ने कहा कि जूगूनू।

ना ख्वाहिश है मेरी चाँद की,
ना चाहत है सूरज बनने की,
ना ही लौ हूँ मै दीपक की,
ना चमक है मुझमें तारों की।

ना आभा कनकों की बनना,
ना ही किरण मणियों की,
ना ही पुंज होना रजतों की,
ना ही टिमटिम जूगूनू की।

सबने अपनी अपनी बात रखी थी,
पूछ ना सके कभी मेरे दिल की,
सबने अपनी अपनी कह डाली,
सुन न सके रूदन मेरे दिल की।

दिल में इक अरदास है मेरे,
बस एक कोहिनूर बनने की,
अगर पड़ा रहूँ मैं कोने में भी,
तो हौसला हो चमक रखने की॥
             ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

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