मुरली तेरी करै पुकार

मुरली तेरी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार।

मधुर भाव है जिसके तन में,
प्रेम छलकता जिसके मन में,
स्वर्ग बनाया जिसने जीवन,
उसका है यह नूतन गान,
करुणामयी सुन्दर चंचल,
जगती का यह नया वितान,
आगे जिसके फिके पड़ गये,
जीवन के सारे अधिकार,
मुरली उसकी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार॥

ह्रदय सदा पास ही जाता,
ऐसा है कुछ दिल का नाता,
कानन कुण्डल मणियन माला,
जलती रहती प्रेम की ज्वाला,
अन्तस के इस ह्रदय गगन में,
उन्माद बढ़ा जाता रे मन में,
जीवन को मथने की पीड़ा,
अब हर पल होती साकार,
मुरली तेरी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार।

चंचल किशोर सुन्दरता का,
करता रहता हूँ रखवाली,
श्यामल शरीर कोमल पग पर,
भारी है अधरों की लाली,
जिनके चरणों में पड़कर,
इठलाती रहती हरियाली,
उस विश्व कमल के रजनी के,
मोह-माया का करै विचार,
मुरली तेरी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार।

सुरभित लहरों की छाया में,
बस रही यह कैसी प्रीत,
घर से लेकर मन मंदिर तक,
गुँजते रहते है अब गीत,
भूल कर सारे दृश्यों को,
तुम्हें निखारता बारम्बार,
कैसे तुम्हारा हो जाऊँ मैं,
करता रहता बस यही विचार,
मुरली तेरी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार।

चल पड़ा अब ह्रदय हमारा,
बनकर एक पथिक अशान्त,
तुमसे मिलने को हूँ व्याकुल,
फिर भी दिखता रहता शान्त,
जीवन के इस लघु सागर में,
चिर परिचित नाम घनश्याम,
शीतल-शीतल मद्धम पवनों से,
समझा दो सारा जीवन सार,
मुरली तेरी करै पुकार,
माधव तेरी जय जयकार।।
           ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

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