पुनरावृत्ति

बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
सुख का दुख में,
दुख का सुख में,
एक साथ विलय हो जाना।
ऐसा है यह जीवन चक्र,
सुख का दुख में,
दुख का सुख में,
आना जाना लगा रहेगा।
इस आलम में कर्तव्य हमारा,
एक सा सुख दुख में बन जाना।
बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
दिन का रात में
रात का दिन में,
एक साथ मिलन हो पाना।
रात दिन का यह चक्र सुदर्शन,
पल-पल, हर-पल,
जीवन पर्यन्त चलता रहेगा।
दिन का रात में,
रात का दिन में,
आना जाना लगा रहेगा।
ऐसे आलम में कर्तव्य हमारा,
दिन-रात एक सा कर जाना।
बहूत कठिन है जीवन में,
किसी एक का रूक जाना।
           ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

कभी आन बान मान, कभी सम्मान लिख देना।

कभी आन बान मान, कभी सम्मान लिख देना।
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

जिनके दम पर हिन्दूस्तान खड़ा है,
जिनसे देश का स्वाभिमान बढ़ा है,
ऐसे आजाद सपूतो को सलाम लिख देना।
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

जिनसे देश का मान बढ़ा है,
गर्व से तिरंगा आसमाँ चढ़ा है,
देश के ऐसे रणबाकुरों को सलाम लिख देना।
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

जिनसे आज आजाद फिजा है,
जिनसे इन्कलाब़ जिन्दाबाद गुँजा है,
खुन से नहाने वाले नाहरों को सलाम लिख देना।
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

मुर्दों में कौम का एहसास जगा है,
फिर से यौवन में भगत आजाद हुआ है,
तब सूरज के प्रदिप्त अंगारों का जयगान लिख देना।
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

आज रंगोलियों में उनका नाम लिख देना,
दिल में बसने वालों का जयगान लिख देना,
ऐसे मरकर जीने वालों को सलाम लिख देना,
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।

कभी आन बान मान, कभी सम्मान लिख देना,
सवा सौ करोड़ हिन्द्वासियों को सलाम लिख देना,
रहे हाथ में तिरंगा, रहे हाथ में तिरंगा,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना,
रहे हाथ में तिरंगा, जय हिन्दूस्तान लिख देना।
                              ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

जमाने को झुका दूँ

जमाने को झुका दूँ मै वो अदावत साज रखता हूँ,
फलक को नाज हो जिस पर वो परवाज रखता हूँ,

गये वो दिन जब जुबाँ मेरी अक्सर खामोश रहती थी,
सुनो! ये जहाँ वालो अब मै भी इक आवाज रखता हूँ।

ऐसा भी नहीं है दोस्तों कि दर्द कम है मेरे सीने में,
मगर सहने को हर दर्द एक जिगर जाबाँज रखता हूँ।

दिल की प्रबल इच्छाओं ने किया मुझे हर बार रुसवा,
मगर अकल का दिल से ज्यादा असर अन्दाज रखता हूँ।

अनुभवों ने सीखा दी मुझे भी इस जहाँ में दुनियादारी,
आज सुकूँ के लिये मै भी इक अलग अरदा रखता हूँ।

इमारतों की नगरी में बनाऊँ ताज गर कभी मुमताज रखूँ,
मगर मैं तो वो परिन्दा हूँ जो सबसे अलग उड़ान रखता हूँ।

दर्द-ए-दिल गर शामिल करो कभी दौलत की खुमारी में,
तो शहंशाहों की उस नगरी का मै अपने सर ताज रखता हूँ॥
                                                   ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

इस जिन्दगी ने पल-पल

इस जिन्दगी ने पल-पल मुझे रुलाया बहूत है,
हर गली हर मोड़ पर मुझे सताया बहूत है।

एक पल की भी खुशी रास ना आयी कभी,
जख़्म दे देकर हर घड़ी मुझे रुलाया बहूत है।

हमेशा के लिये जब भी दूर जाना चाहा इससे,
जरा जरा सी खुशी देकर मुझे बहलाया बहूत है।

चाहतों को मेरे हर रोज इक नया नाम देकर,
कभी पागल तो कभी दिवाना बतलाया बहूत है।

करू बदनाम भी इसे इस जहाँ में अपने संग,
आखिर इसी के काबिल मुझे बनाया बहूत है।

दिल को मेरे खिलौना बना कर हर घड़ी खेला,
जब थक गयी तब मेरे दिल को ठुकराया बहूत है।

क्युँ किया ऐसा पुछा जब मैनें उससे प्यार से,
शौक खेलने का उसने खुद को बताया बहूत है।

माना था कभी जिसे हमने अपना सारा जहाँ,
छोड़कर मुझे मझधार में उसने मुस्काया बहूत है।

किया था हजार वादा उसने संग जीने मरने का,
मगर गैर का हाथ थाम आज मुझे भुलाया बहूत है।

मुस्काया करता है जो आज मेरी बर्बादियों पर,
उसका आँशिया भी हर बार हमने सजाया बहूत है।

भूल गया है आज-कल वो मुझको कुछ इसकदर,
मिलकर आज हमसे हमें अजनवीं बुलाया बहूत है।

आह थी जो तेरी आज काम आ गयी है "अतुल",
ठुकरायेगा वो भी जिसकी खातिर हमें ठुकराया बहूत है॥
                                             ©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"

तू जो कहती है

तू जो कहती है ये तेरे दिल के हालात नहीं है,
भरोसा मुझ पर रख या खुदा पर कोई बात नहीं है।

हद तो हो गयी है अब तेरे मेरे तकरार की,
इतना मासुम हो तेरा दिल ये तेरी औकात नहीं है।

ऐ दोस्त, ये जिन्दगी कभी सुझाओं पर नहीं चलती,
हकीकत चाहिये इसको ये तेरे बदलते जज्बात नहीं है।

ये प्यार का ही असर है तू स्वीकार कर या ना कर,
ये तेरा निखरता चेहरा किसी रब की सौगात नहीं है।

तू भींग जायेगी कमसीन अदाओं की शहजादी,
हुयी है चाहतों की बारिश ये अश्कों की बरसात नहीं है॥

कहने को तुमसे

कहने को तुमसे बहूत सी बातें बाकी है,
मिलने को तुमसे बहुत सी रातें बाकी है।

अभी तो कुछ कहना भी थोड़ा जल्दी होगा,
समझने को बहुत सी मुलाकातें बाकी है।

मेरे दिल में जो है वो ही जज्बात पैदा हो,
तुम्हें ऐसा होने में बहुत सी ढलाने बाकी है।

तेरे एहसास भी हो मेरे एहसास की तरह,
प्यार की ऐसी बहूत सी शुरूआतें बाकी है।

मेरा दिल तुमसे बार-बार कहता है "अतुल",
तुमसे मिलने में अभी बहूत सी राते बाकी है।

हो गया गिरफ्तार

हो गया गिरफ़्तार इस कदर प्यार में,
दिन-रात गुजरते मेरे अब इन्तजार में।

न रहा होश मुझको इस कदर मदहोश हूँ,
डूब गया हूँ मै तो अब इश्क के खुमार में।

तेरे प्यार का असर है इस कदर कुछ और,
अपनी सुध-बुध खोया हूँ अब इस बहार में।

बेगाना हुआ तुमसे दिल इस कदर लगाकर,
दिवाना कहते जा रहे लोग भरी बाजार में।

हार गया अपना सब कुछ तुम पर "अतुल",
हो न जाये पागल अब इस कदर तकरार में।

आज ऐसा कौन है

आज ऐसा कौन है जिसके दामन में कोई गम नहीं,
गम तो बहुत है पर खुशी के बहाने भी है कम नहीं।

यहाँ इंसानों की जिन्दगी बनी है गुलशन गुलाब की,
पर काँट भरी जिन्दगीं की खुबसूरती भी है कम नहीं।

लाख गम समेटकर खुश हुँ अपनी बेदाग जिन्दगी से,
इस दौर में बेदाग जीना भी कयामत से है कम नहीं।

मानता हूँ बहूत छोटी सी है अपनी जिन्दगी दोस्तों,
मगर साथ बिताये पल किसी सदी से है कम नहीं।

हमारी किस्मत ने हमेशा ही हमें धोखा दिया यारों,
वैसे किस्मत की लकीरें मेरे हाथों में है कम नहीं।

गर तुझे चाँद ना मिला तो कोई बात नहीं "अतुल",
तेरा रुतवा भी आज किसी सितारों से है कम नहीं।