रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा
शाम होती नहीं है यहाँ आजकल,
नब्ज तो देखिये वक्त की चालचल,
चाल चलती रही जिन्दगी की डगर,
ख्वाहिशों से निकलना हमें है निडर,
प्यास कैसे बुझेगी बताओ न तुम,
चार पल जिन्दगी के घटाओ न तुम,
चेहरा सब हकीकत बताता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।
हसरतों के दिये हाथ में थामकर,
बैठिये आप खुद अपना मन मारकर,
रौशनी है कहाँ चाँद में रात की,
ख्वाब उगने लगे बात जज्बात की,
एक कतरे मुहब्बत की ये दासता,
दौड़ती जिन्दगी अब बनी रासता,
देख दिल की लड़ी मुस्कुराता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।
चार पल के लिए मुस्कुरा दीजिए,
गीत धड़कन को' अपने बना लीजिए,
नेह रस धार में सिन्धु बादल हुआ,
प्यार में है जमाना ये घायल हुआ,
बात दिल की है' दिल से मजा लीजिए,
प्यास दिल की भी अपने बुझा लीजिए,
राह में चाँद सूरज सजाता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।।
©अतुल कुमार यादव
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा
शाम होती नहीं है यहाँ आजकल,
नब्ज तो देखिये वक्त की चालचल,
चाल चलती रही जिन्दगी की डगर,
ख्वाहिशों से निकलना हमें है निडर,
प्यास कैसे बुझेगी बताओ न तुम,
चार पल जिन्दगी के घटाओ न तुम,
चेहरा सब हकीकत बताता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।
हसरतों के दिये हाथ में थामकर,
बैठिये आप खुद अपना मन मारकर,
रौशनी है कहाँ चाँद में रात की,
ख्वाब उगने लगे बात जज्बात की,
एक कतरे मुहब्बत की ये दासता,
दौड़ती जिन्दगी अब बनी रासता,
देख दिल की लड़ी मुस्कुराता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।
चार पल के लिए मुस्कुरा दीजिए,
गीत धड़कन को' अपने बना लीजिए,
नेह रस धार में सिन्धु बादल हुआ,
प्यार में है जमाना ये घायल हुआ,
बात दिल की है' दिल से मजा लीजिए,
प्यास दिल की भी अपने बुझा लीजिए,
राह में चाँद सूरज सजाता रहा,
रोज गाता रहा गुनगुनाता रहा,
गीत अपनों को' हरपल सुनाता रहा।।
©अतुल कुमार यादव
No comments:
Post a Comment