जीवन है एक कठिन पहेली

                                                                    चित्र - गूगल से साभार




जीवन है एक कठिन पहेली,
हर दम उलझी रहती है,
साँसो में जितना उलझाओ,
उतनी सुलझी रहती है।

साँस आश ही जीवन है,
इससे सम्भव रहती है,
बिन साँसों के इस मछली में,
हर पल तड़पन रहती है।

सूरज छिपा और साँझ हुयी,
फिर भी चलती रहती है,
कुछ उलझी कुछ सुलझी,
अभी कुछ बाकी रहती है।

लक्ष्य सामने जब दिखता हो,
नित नित चलती रहती है,
जब जब मन में भटकन होती,
तब तब पीछे हटती रहती है।

प्रतिदिन की बड़बड़ में यारों,
कुछ कुछ कहती रहती है,
गड़बड़ हो या हो बड़बड़,
पल पल बढ़ती रहती है॥ 

जब कभी हार कर

                                                                                         चित्र - गूगल से साभार


जब कभी हार कर धरा पर गिर पड़ा,
वक्त लगा फिर जीत की तरफ चल पड़ा,
कहीं पथ पर गिरा ठोकरों से टकरा कर,
धुल झाड़कर आगे की तरफ चल पड़ा,
अगर कहीं दुःख ने गिराया है धोखे से,
रोया, आँसू पोछा फिर आगे को चल पड़ा,
यूँ ही गिरना-पड़ना तो बस लगा रहा,
सम्भलना कहाँ कहाँ सोचता चल पड़ा,
कोई बात तो जरूर है गिरने-पड़ने में,
हर दम नई नसीहत लेता चल पड़ा,
कभी जो आँखों से आँसू बन कर गिरा,
आँचल में गिरता सिमटता चल पड़ा,
जब किसी की नजरों से गिरा "अतुल",
बस गिरता,गिरता, गिरता ही चल पड़ा,
उठने की गुंजाईस भी ना रही अब कोई,
बस दिल से उतरता,उतरता ही चल पड़ा॥

तारिखों मे ढुढ़ते - ढुढ़ते

                                                                               चित्र - गूगल से साभार





तारिखों में ढुढ़ते-ढुढ़ते वर्षों निकल गये,
हूँ वही ना जाने कितने मौसम बदल गये,
बस मेरी ही दुआ मेरे काम ना आयी कभी,
और ना जाने कितनों के मुकद्दर बदल गयी,
एक तेरा ही दिल ना जाने क्युँ नहीं पिघला,
पानी से तो बड़े-बड़े सख्त पत्थर बदल गये,
घायल किया जिसने मुझे जख्म देकर यारों,
उसका जेहन ना बदला बस खन्जर बदल गये,
बुनता रहा मैं अपना एक ही ख्वाब बार -बार,
उतने में ना जाने कितने परिन्दे घर बदल गये,
अरसों से बिछी रही तेरे राह में मेरी आँखे,
तू आया तेरे उजाले से मेरी नजर बदल गयी,
कोई कलाम तेरा उनको पसन्द ना आया "अतुल"
खुन से लिखते - लिखते तेरे नश्तर बदल गये॥

लोग जाते-जाते

               
                                                                              चित्र - गूगल से साभार




लोग जाते-जाते बहुत कुछ कह जाते है,
पाक होते है वो जो हर वार सह जाते है,
हर जुल्म सहा सोचकर शायद बदल जाये,
किसे पता रास्ते इंसान को कहा ले जाते है,
खामोशी छोड़कर कुछ जवाब दे दो दोस्तों,
शायाद चुप रहने से रिश्ते बिखर जाते है,
साये से डरते रहते है बच्चे आज तलक,,
अब अपनी बात किसी से कह न पाते है,
रात भी थककर सो गयी "अतुल" इन्तजार में,
चिराग तो जलते रहते है पर हौसले बुझ जाते है