ज्ञान ताक पर दर्ज हमारा,
देख आज यह फर्ज हमारा।
नोटबन्द बुनियाद डली है,
खोज मात्र यह जीत भली है॥
तोड़ इश्क़ फरियाद जगी है,
राज जान यह आग लगी है।
राग द्वेष भर कौम जगे हैं,
आह आह कर चोर भगे है॥
जीत धर्म पथ शोर मचाती,
मौन रात बस भोर जगाती।
आज देख यह राह सुहानी,
सोचती कलम सार कहानी॥
हाव भाव कविता बन आयी,
गाँव गाँव चुपचाप सुनायी।
पेट पीठ अब दौलत भाई,
देख आज सब देत बधाई॥
©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"
देख आज यह फर्ज हमारा।
नोटबन्द बुनियाद डली है,
खोज मात्र यह जीत भली है॥
तोड़ इश्क़ फरियाद जगी है,
राज जान यह आग लगी है।
राग द्वेष भर कौम जगे हैं,
आह आह कर चोर भगे है॥
जीत धर्म पथ शोर मचाती,
मौन रात बस भोर जगाती।
आज देख यह राह सुहानी,
सोचती कलम सार कहानी॥
हाव भाव कविता बन आयी,
गाँव गाँव चुपचाप सुनायी।
पेट पीठ अब दौलत भाई,
देख आज सब देत बधाई॥
©अतुल कुमार यादव "अतुल्य"
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